पिछले साल अगस्त के महीने मै मै जब आसाम के बारपेटा मै था तो मेरे पापा ने फ़ोन करके मुझे बताया की मेरी माँ की तबियत खराब हुई और उन्हें अस्पताल ले गये हैं . उस अस्पताल से मिली रिपोर्ट को जब मै अपने पास के हॉस्पिटल के सर्जन को दिखाया तो उन्होंने मुझे बिना कुछ बताते हुए कहा की भाई तू अपनी माँ को जल्दी से जल्दी दिल्ली या चंडीगढ़ के बड़े सेना अस्पताल मै लेकर जा . मैंने ये सब बातें अपने अधिकारी को बताई तो उन्होंने तुरत मुझे घर भेज दिया . फिर मै आसाम से दिल्ली आया वह मेरा भाई हमारी कार लेकर मेरा वेट कर रहा था , फिर हम दोनों ने वहा से अपने घर जो तुंगनाथ घाटी के पहाड़ों मै है का सफ़र शुरू किया.लेकिन जब हम गाँव पहुंछे तो हमारे सामने से रोड धीरे धीरे निचे धस रही थी ,रात को ३ बजे मैंने और भाई ने मिलकर रोड से कुछ मलवा साफ़ किआ ताकि हमारी गाडी गाँव मैं जा सके . उस दिन रविवार था तो सोमवार को मै माँ और पापा को साथ मै लेकर कार से देहरादून निकल गया. वहा प्राइवेट हॉस्पिटल मै काफी छानबीन और पैसे खर्चने के बाद मुझे रिपोर्ट मै आया की माँ को सेकंड स्टेज से थर्ड स्टेज मै प...
God does not works for you, he works with you